Wednesday, January 1, 2025

विदेशी नववर्ष?

बहुत वजहें हैं हमारे पास, रोने की, दुख मनाने की..
कुछ गिनती के पल हमें मिलते हैं, हँसने - मुस्कुराने - खिलखिलाने के..

तब क्या ही फर्क पड़ता है कि जॉर्जियाई (अंग्रेजी) कैलेंडर बदला है, या भारतीय कैलेंडर. क्या ही फर्क पड़ता है कि जन्मदिवस और वर्षगांठ मनाये जा रहे है, या फिर क्रिसमस और होली - दिवाली.

जब भी जीवन में इस तरह के अवसर आते हैं, वो हमें कुछ वजह देते हैं, अपनों के साथ उत्सव मनाने की, अपनों के साथ हँसने - मुस्कुराने की, अपनों के साथ कुछ पल बिताने की.

क्या इन खूबसूरत पलों को हम यह कहकर व्यर्थ गवां दें कि ये भारतीय नहीं विदेशी है, वो भी सिर्फ अनावश्यक अहंकार को उचित ठहराने के लिये!?

सम्भवतः नहीं!

फिर बनाएं कोई योजना, और निकलें अपने घर से बाहर, अपने परिवार के साथ, दोस्तों के साथ, या फिर अकेले ही.. और जीवन में कुछ खुशी के पल जोड़ें.



सिर्फ इतना ध्यान रखें कि उत्सव मनाने की हमारी विधियों से किसी के दिल को ठेस न लगे, किसी का नुकसान न हो, किसी को कोई चोट न पहुंचे, अपने स्वाद या मजे के लिये किसी जीवित रचना को मारना न पड़ें, प्रकृति का क्षरण न हो..

तो.., बेहतर जीवन स्तर, बेहतर स्वास्थ्य, अधिक उन्नति और अधिक खुशियों के साथ वैश्विक नववर्ष 2025 पर आपको बहुत शुभकामनाएं!


सब नर करहिं परस्पर प्रीती,
चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीती!

जय श्री राम!
😊🙏

✍️ Prof. Abhishek_Vaniya
instagram.com/Abhishek_Vaniya

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