Tuesday, October 8, 2024

2024 में भौतिकी का नोबल पुरस्कार

एआई के अग्रदूत एवम कंप्यूटर विशेषज्ञ, गूगल में प्रमुख भूमिका देने वाले ब्रिटिश जेफ्री हिंटन और मशीन लर्निंग, भौतिकी, रसायन के साथ साथ जीव विज्ञान के प्रोफेसर अमेरिकी जॉन हॉपफील्ड को संयुक्त रूप से भौतिकी में 2024 का नोबेल पुरस्कार दिया गया.


हिंटन और हॉपफील्ड ने एआई (AI, Artificial Intelligence, कृत्रिम बुद्धिमत्ता), मतलब शरीर के तंत्रिका तंत्र की नकल करके मानव मस्तिष्क की तरह कार्य करने वाली मशीनों को विकसित करने के लिये विश्व को मूलभूत सिद्धांत एवम तकनीकें उपलब्ध कराई हैं. इस दिशा में आज जो भी कार्य हो रहे हैं, उसकी नींव इन्ही वैज्ञानिकों के द्वारा रखी गई है. वर्तमान के एडवांस मशीन लर्निंग के लिए हम इनके द्वारा बताये गये मूल सिद्धांतों पर ही निर्भर हैं.

आसान शब्दों में, यह तकनीक मानव मस्तिष्क की तरह कार्य करने वाले कंप्यूटर बनाने में मदद करती है. जिस तरह हम रंगों, चित्रों, ध्वनियों, अक्षरों, प्रतीकों आदि को पहचानते हैं, उसी तरह मशीनों में इस पहचान को विकसित करने के लिए हम वैज्ञानिकों हिंटन और हॉपफील्ड के द्वारा बनाई गई तकनीकों का उपयोग करते हैं.

हालांकि हिंटन और हॉपफील्ड स्वयं मानते हैं कि भविष्य में इस तकनीक का भयावह दुष्परिणाम हमें देखने को मिल सकता है.

इस वर्ष "for foundational discoveries and inventions that enable machine learning with artificial neural networks (कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क के साथ मशीन लर्निंग को सक्षम करने वाली आधारभूत खोजों और आविष्कारों के लिए)” विषय पर भौतिकी का नोबल पुरस्कार दिये जाने पर हालांकि कुछ भौतिकी एवम अन्य विषय विशेषज्ञों द्वारा विरोध व्यक्त किया गया है, क्योंकि वैज्ञानिकों जेफ्री हिंटन और जॉन हॉपफील्ड के जिन कार्यों एवम शोधों के लिये भौतिकी का नोबेल पुरुस्कार दिया गया है, वे प्रत्यक्ष रूप से भौतिक विषय से जुड़े नही हैं. ये एआई (AI) के क्षेत्र में शोध कार्य हैं.

पर विज्ञान में आज इन महान व्यक्तियों के दिये गये योगदान से ही हम इन विकसित तकनीकों को देख पा रहे हैं, उनका उपयोग कर पा रहे हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्राहक सेवा, निर्णय लेना, एवम अन्य बहुत से क्षेत्रों में कार्यों को आसान बनाने वाली तकनीकों को विकसित करने वाले इनके महान कार्यों को हमरा नमन है.


✍️ Prof. Abhishek_Vaniya

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