प्रिय देश वासियों!
मैं एक महत्वपूर्ण विषय की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं.
1.) क्या आपको भी लगता है, कि हमें देशी / Made In India उत्पादों को बढ़ावा देना चाहिए?
2.) क्या आपको भी लगता है, कि हमें विदेशी (विशेषकर Chinese) Products का वहिष्कार करने की आवश्यकता है, ताकि क्षेत्रीय / घरेलू उत्पादों को समर्थन प्राप्त हो, और देश के छोटे / मध्यम / कुटीर उद्योगों पर निर्भर रहने वाले व्यक्ति भी अपनी आय बेहतर दर से बढ़ा सकें?
3.) क्या आपको भी लगता है, कि जिन वस्तुओं / उत्पादों / सेवाओं के लिए हम विदेशी निर्माताओं पर निर्भर हैं, वो सब हमारे देश में ही हों, ताकि देश की निर्भरता गैर भारतीय निर्माताओं पर कम से कम हों, और देश की GDP बेहतर प्रदर्शन कर सके?
यदि इनमें से किसी भी सवाल का जवाब "हां" हैं, तो इस और बढ़ने के लिए आपकी क्या योजनाएं हैं?
और ऐसे ही बहुत से सवाल हैं, जिनमें हमारे देश की GDP, शिक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य Structure, प्रति व्यक्ति आय वगैरह में बेहतरी होने की स्वाभाविक अभिलाषा हो.
पर..
क्या आपको लगता है, कि दिवाली आने पर Chinese झालर और पटाखों / आतिशबाजियों का विरोध करके आप इस महत्वपूर्ण लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं?
क्या आपको लगता है, कि होली आने पर Made In China रंगों के वहिष्कार को लेकर Social Media Posts के जरिए आप देश को बेहतर बना सकते हैं?
क्या आपको लगता है, कि India - China / India - Pakistan Border पर देश के वीर सपूतों के शहीद होने पर Chinese Smartphones या अन्य Chinese उत्पादों के बारे में नकारात्मक बातें करके आप उन्हें देश में उपयोग से रोक सकते हैं?
यदि आपको यही सही लगता है, तो आपको अब भी काफी कुछ सीखने / समझने की आवश्यक्ता है.
स्वाभाविक रूप से हम सभी बदलाव चाहते हैं.
निःसंदेह, हम सभी में देश को आत्मनिर्भर बनाने की प्रबल इक्षा है.
बेशक, हम सभी क्षेत्रों में देश की बेहतरी चाहते हैं.
तो फिर.. ऐसा क्या है, जो हमें इस तरह के लक्ष्य हासिल करने में सहायक हो सकता है?
मेरा निजी अनुभव कहता है, कि ये सिर्फ शिक्षा है.
यह सिर्फ मेरा निजी अनुभव नहीं है, यह वास्तविकता है, एक तथ्य है.
क्या आप जानते हैं, कि देश / विश्व के इतिहास / Mythology में जो भी महान हस्तियां हुई हैं, या मानवता के समर्थन में जिन्होंने कुछ भी उल्लेखनीय कार्य किया है उन सभी ने शिक्षा को बहुत मझत्व दिया है. उन सभी ने किसी न किसी रूप में शिक्षा ग्रहण की है.
भगवान श्रीकृष्ण, अर्जुन, सिकंदर, चंद्रगुप्त / चाणक्य, महात्मा गांधी, भीमराव अंबेडकर, एपीजे अब्दुलकलाम, नेल्सन मंडेला, सुंदर पिचाई, बिलगेट्स.. और भी ऐसे अनगनित उदाहरण हमें मिल जायेंगे.
इन उदाहरणों में से अधिकांश के पास पर्याप्त संसाधन और अनुकूल वातावरण नहीं थे, कई तरह की परेशानियों और विपरीत परिस्थितियों में भी ये डटे रहे और कभी भी इन्होंने अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया. इन सबके बावजूद इन्होंने शिक्षा के महत्व को कम नहीं आंका. यहां तक कि लक्ष्य प्राप्ति के लिए इन्होंने हमेशा ही शिक्षा को सर्वोपरि रखा.
आप व्यक्तिगत रूप से बेहतर होने की अभिलाषा रखते हों, या आप सामाजिक विकास की बातें करते हों, या देश की बेहतरी यहां तक कि विश्व के बेहतर होने का सोचते हों.., आप शिक्षा के महत्व को दरकिनार नहीं कर सकते.
वास्तव में, शिक्षा का कोई विकल्प नहीं है
शिक्षा ही वह हथियार है, जो बदलाव ला सकता है.
अब ये आपकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी है, ये आपको स्वयं सोचना है, कि आप किस तरह की शिक्षा पाने पर बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं. यह आवश्यक नहीं है, कि आप गणित, विज्ञान या Engineering विषयों में ही बेहतर हों. आपका रुचि का कोई भी विषय हो सकता है, जिसमें आप सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सके. आपका विषय इतिहास हो सकता है, भाषा एवं साहित्य भी हो सकता है, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, चिकित्सा, जीव विज्ञान, भूगोल या कोई अन्य विषय भी हो सकता है, जिसमें आप अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकें.
इनमें से प्रत्येक विषय आवश्यक है, मानव संसाधन के विकास के लिए, व्यक्तिगत रूप से / समाजिक रूप से / राष्ट्र या विश्व कल्याण के लिए..
लेकिन..
जब देश को आत्मनिर्भर बनाने की बात आती है, देश की प्रति व्यक्ति आय एवं जीवन स्तर में बेहतर होने की बात आती है, तब सर्वाधिक महत्व होता है, तकनीकी शिक्षा, Engineering, गणित एवं विज्ञान विषयों का.
जब हम तकनीकी रूप से Well Skilled (कुशल) होंगे, तभी तो हम देश की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम होंगे. जब हम काबिल होंगे, तभी तो हम देश में ही उन वस्तुओं / सेवाओं को देश में निर्मित कर पाएंगे, और देश को आत्मनिर्भर बना पाएंगे.
वास्तव में, जब हम किसी भी परंपरा / विचारधारा / आदत में बदलाव की बात करते हैं (जैसे देश की Chinese Products पर निर्भरता खत्म करना), तो एक निर्वात उत्पान होता है. और निर्वात किसी भी तरह के बदलाव का विरोध करता है. यदि हम परिवर्तन चाहते हैं, तो बदलाव से पहले हमें विकल्प की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी. और ये तभी हो सकेगा, जब हम स्वयं उत्पादन करने में सक्षम हों, जब हम Well Skilled (कुशल) हों.
जब हम स्वयं उत्पादक होंगे, तो किसी और के उत्पादों की आवश्यक्ता क्यों होगी.
हम पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो जाएं, या हम जरा भी गैर भारतीय उत्पादों / संसाधनों पर निर्भर न हों, ऐसा संभवतः मुश्किल है. कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में हमें विदेशी उत्पादों / सेवाओं की अवश्यकता पड़ती रहेगी.
लेकिन, अगर हमें आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर होना है, हमारे देश को एक सक्षम, मजबूत और विकसित राष्ट्र बनाना है, तो इस ओर ध्यान देना होगा. इसमें समाज एवं राष्ट्र के साथ साथ विश्व कल्याण की भावना भी है.
अंततः निष्कर्ष यही निकलेगा, कि शिक्षा के महत्व को सर्वोपरी रखें, किसी भी परिस्थिति में अपने आपको शिक्षा से दूर न करें, स्वयं को, अपने परिवार जनों, समाज जनों, देशवासियों को शिक्षा का महत्व समझाएं, और उन्हें शिक्षित होने के लिए प्रेरित करें. अपने आप को उस विषय में बेहतर बनाएं, जिसमें आप सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकते हों. (यदि संभव हो, तो तकनीकी एवं विज्ञान विषयों में).
अपना महत्वपूर्ण समय देने के लिए धन्यवाद!
आप सभी को शुभकामनाएं!
😊🙏
अभिषेक वानिया
कुछ नि:शुल्क ई-लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म का उल्लेख नीचे किया गया है.
ये सभी प्लेटफार्म भारत सरकार द्वारा प्रायोजित हैं, जिन्हें देश के बड़े संस्थान संचालित करते हैं. जहां सीखने - पढ़ने के लिए अधिकांश सामग्री वीडियो एवं पीडीएफ के रूप में नि:शुल्क उपलब्ध हैं. यहां से आप विभिन्न शासकीय सेवाओं के लिए परीक्षाओं की तैयारी भी कर सकते हैं.
Good
ReplyDeleteExcellent dear...
ReplyDelete👍🏻
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