सत्य?
मेरा बहुत ज्यादा न तो अनुभव है, और न मेरे पास एक परिपक्व समझ है.
सत्य को लेकर मेरा मत यह है कि सत्य परम (absolute) है, जो किसी भी प्राचल (parameter) पर निर्भर नहीं करता.
कुछ मैं जनता हूं, कुछ आप जानते हैं, कुछ अन्य लोग जानते हैं. हममें से सभी की जानकारियां भिन्न हो सकती हैं, अथवा सभी की समान हो सकती हैं. यह भी संभव है कि कुछ जानकारियां उभयनिष्ट (comon) हों और कुछ एकदम विपरीत.
कमाल की बात यह है कि हर व्यक्ति के पास सही जानकारी होती है. पर सब आधा अधूरा जानते हैं, और वैचारिक मतभेद यहीं से उत्पन्न होते हैं.
आप लोग समुच्चय सिद्धांत (Set Theory) के बारे में संभवतः जानते होंगे. उस सिद्धांत के रूप में यदि अभिव्यक्त किया जाये तो सत्य एक सार्वत्रिक समुच्चय (Universal Set) है और हम सब उस समुच्चय का थोड़ा थोड़ा हिस्सा अपने में लिऐ हुए हैं.
समझने वाली बात यह है कि इस प्रकार का समुच्चय असीमित है. और मजे की बात यह है कि हम सभी उस सार्वत्रिक समुच्चय के अंदर की बात ही जानते हैं. तो तकनीकी रूप से हममें से किसी के भी विचार गलत नहीं है, बस वो आधे अधूरे हैं.
हमें यह समझना होगा कि मैं सबकुछ नहीं जानता. अथवा "मैं गलत हो सकता हूं," इसकी पूरी संभावना है.
✍️ Prof. Abhishek_Vaniya
या कहा जा सकता ह की पूर्ण सत्य जानने की ओर वही है जो किसी ओर के अधूरे सत्य को भी अपना ले ।।
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