Tuesday, October 1, 2024

पितरों का तर्पण क्यों करें?

यहां एक महत्तवपूर्ण परम्परा का महत्त्व व्यक्त करने की कोशिश की गई है, जिसे "तर्पण" कहा जाता है.

 पितरों का तर्पण क्यों करें?
हमें तर्पण क्यों करना चाहिए, और क्या सिर्फ़ एक परम्परा का निर्वहन करने के लिये हमें तर्पण करना चाहिए? बिल्कुल नही..

इसका महत्व सिर्फ एक परम्परा से बहुत उपर है.
पितरों का तर्पण करने का अपना विशेष महत्व है. यह परम्परा हमें याद दिलाती है कि हमारे पूर्वज अथवा पितृ हमें कहीं से देख रहे हैं, हमारा उत्कर्ष माप रहे हैं.


यह परम्परा वास्तव में सालभर किये गए हमारे कर्मों के एक मूल्यांकन का अवसर होता है. स्वयं से एक प्रश्न होता है कि हमारे सम्माननीय पूर्वज, हमारे परिवार अथवा कुटुम्ब की जो प्रतिष्ठा बनाकर गये हैं, क्या हमने उसे बनाये रखा?

पूर्वजों द्वारा छोड़कर गये मान सम्मान, वैभव एवम यश को हम कितना आगे ले गये?

परिवार, कुटुम्ब और समाज के उत्थान एवम विकास के लिये सालभर में हमने क्या क्या किया?

क्या हमने कोई ऐसा कार्य तो नही किया, जिससे हमारे सम्माननीय पूर्वजों की मान प्रतिष्ठा को चोट लगी हो, उनकी अंतरात्मा को कोई दुख पहुंचा हो?

क्या हम उन मानव मूल्यों का अनुसरण कर रहे हैं, जो हमारे पूर्वज हमें सौंप कर गये थे?

आप श्राद्ध पक्ष में, अथवा जब भी तर्पण करने जाएं, एक स्व मूल्यांकन करें कि हमने कुछ ऐसा कार्य तो नहीं किया जिससे हमें अपने पूर्वजों से नजरें चुरानी पड़ जाएं?

श्राद्ध अथवा तर्पण के दौरान पिंड दान करना, कौवे आदि पक्षियों को कुछ खिलाना, गायें अथवा धन दान करना, ब्राह्मण भोज कराना आदि तब तक किसी भी तरह से उचित अथवा लाभदायक नही है, जबतक आप श्राद्ध का वास्ताविक महत्त्व समझकर स्वयं का, परिवार, कुटुम्ब एवम समाज का कोई कल्याण न कर दें.

तो अगली बार जब भी आप अपने पितरों एवम पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिये तर्पण अथवा श्राद्ध करने जायें, तो पहले एक समान्य स्वामूल्यांकन करें, कि क्या वाकई आपने कुछ बड़ा और सकारात्मक कार्य किया है, अथवा क्या आप उस दिशा में अग्रसर हैं?

इसके साथ इस परम्परा से आपको प्रेरणा मिलनी चाहिए, कि जो भी सकारात्मक कार्य पूर्वज नही कर पाये, अथवा उनका जो कार्य अधूरा रह गया है, उसे हमें पूरा करना है.

वास्तव में तभी तर्पण करना सार्थक होगा. अन्यथा सिर्फ परंपरा का निर्वहन करना पर्याप्त नही होगा.

तर्पण के वक्त अपने पूर्वजों को भरोसा दे कर आएं कि आप कोई भी गलत अथवा नकारात्मक कार्य नही करेंगे. उन्हें वचन देकर आएं कि आप बहुत मेहनत करेगें और उनकी प्रतिष्ठा को आसमान की ऊंचाइयों तक ले जायेंगे, और एक दिन निश्चित ही आप उन्हें गौरवान्वित करेगें.


✍️  Prof Abhishek_Vaniya

2 comments:

  1. 100 percent right. Adbhut saty.

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  2. बहुत सुंदर लिखा है

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